मंजू गौड़
20 मार्च 2020 को ऑफिस बंद कर दिया गया था। उसके बाद हमारे आगे जो सबसे बड़ा चैलेंज सामने आया वह यह था कि हम कैसे काम को आगे करें ताकि काम रूके नहीं और कम्पनी का काम चलता रहे। यह एक गम्भीर प्रश्न था जिसका उत्तर हमें किसी भी तरह जल्द से जल्द ढूंढ निकालना था क्योंकि कम्पनी का काम रूक जाएगा तो सभी कुछ रूक जाएगा। इसलिए हमने उन कामों को जो घर से किए जा सकते हैं उनकी एक लिस्ट तैयार की और उस डिपार्टमेंट को वह काम घर से ही करने के लिए कहा। हालांकि अभी भी ऐसे बहुत से काम हैं जो किसी भी सूरत में घर से नहीं किए जा सकते। इसलिए हमने उन कामों पर फोकस करना ज्यादा जरूरी समझा जो घर से किए जा सकते हैं। यही सोच को अपनाते हुए हमने वर्क फ्राॅम होम शुरू किया उसमें सेल्स, कस्टमर केयर, कलेक्शन, एचआर, आईटी, फाइनेंस आदि को मिलाकर कुछ डिपार्टमेंट के साथ मिलकर घर से ही यानी वर्क फ्राॅम होम करना शुरू किया।
मैं उन सभी एम्पलाॅई को तहे दिल से धन्यवाद करना चाहूंगी जो घर पर बैठकर हमारे लिए काम कर रहे हैं क्योंकि घर पर बैठकर काम करने के लिए वर्किंग कंडीशन उतनी पाॅजीटिव नही होती। महानगरों में घर छोटे होते हैं और सदस्यों की संख्या अधिक होती है ऐसे में काम करने के लिए एक अलग स्पेस निकालना थोडा मुश्किल होता है। चूंकि हम एक स्कूल भी चलाते हैं जिसमें आजकल ऑनलाइन क्लासिस ली जा रही हैं ऐसे में बच्चों को बहुत समस्या होती है कभी घर में कुकर की सीटी बज रही है तो कभी कोई शोर कर रहा है।
लेकिन सभी स्टाफ ने अपने काम के लिए एक स्पेस क्रिएट किया और अपने काम को शुरू किया। और वह लोग काफी काम कर भी रहे हैं। यहां मैं एक बात जरूर कहना चाहती हूं कि हर चीज के दो पहलू होते हैं नेगेटिव और पाॅजीटिव। अगर बात वर्क फ्राॅम होम के पाॅजीटिव पहलू की करू तो उसमें सबसे अच्छी बात यह है कि इससे हमारा ट्रैवलिंग टाइम जीरो हो गया है क्योंकि अब हम कोई ट्रैवलिंग नहीं करते और ट्रैवलिंग न करने से पाॅलूशन खत्म हो गया है। और पाॅलूशन खत्म होने से वायु की शुद्धता का स्तर बहुत ज्यादा अच्छा हो गया है जिससे प्रकूति बहुत साफ-सुथरी और खूबसूरत हो गई है। तो घर पर बैठ कर काम करने से जो सबसे बड़ा फायदा हुआ हे वह पाॅलूशन कम होना जिस समस्या का हम पिछले कई सौ वर्षो से कोई हल नहीं निकाल पा रहे थे और सभी प्रकूति की स्थिति को देखकर बेहद चिंतित भी थे। उस समस्या का हल प्रकृति ने हमें घर पर बैठा कर स्वयं निकाल लिया।
दूसरा लाभ यह है कि घर से काम करने पर आपका एनर्जी लेवल काफी अच्छा रहता क्योंकि आने जाने की थकान और ऑफिस आने के लिए जो तमाम तैयारी करनी होती थी जिसके लिए सुबह जल्दी उठना, भागमभाग में घर के सारे काम समेटना और ऑफिस के लिए एक निश्चित समय पर निकलना ताकि समय पर पहुंचा जा सके। इन सबमें जो एनर्जी लेवल कम हो जाता था अब वह सेव रहता है। क्यूंकि अभी घर पर हैं तो इसलिए सुबह बिना भागमभाग के तैयार हुए और काम पर बैठ गए इसमें काफी एनर्जी सेव होती है और बहुत तरोताजा होकर काम शुरू होता है।
ऑफिस जाने के लिए कपड़ों के चयन को लेकर अक्सर समस्या होती है कि क्या पहने और क्या नहीं। लेकिन इस समय इस समस्या से पूरी तरह छुटकारा है आप अपने कम्फर्ट के हिसाब से कपड़े पहनकर काम कर सकते हैं।
घर से काम करने में एक अच्छी बात यह भी है खासकर वर्किंग महिलाओं के लिए कि वे काम के साथ-साथ अपने घर को भी समय दे पाती हैं। चूंकि मैं स्वयं भी वर्किंग महिला हूं इसलिए अब मैं घर में काम करने वाले स्टाफ के काम को न केवल सही ढंग से देख पाती हूं बल्कि उनकी मदद भी कर पाती हूं जैसे कभी किचन में कुछ कर लिया तो कभी घर की साज सजावट में।
ऑफिस में काम करने का समय बेशक 8 घण्टे होता है लेकिन उसमें अगर मेोटे तौर पर भी देखा जाए तो लोग ज्यादा से ज्यादा 5 से 6 घण्टे ही काम करते हैं और ऐसा केवल हमारी कम्पनी में नही बल्कि सभी जगह होता है यह एक आम बात है क्योंकि लंच टाइम और बाकी अन्य तरह की गतिविधियों में कई बार समय लगता ही है जैसे कभी किसी से गप तो कभी चाय तो कभी सिगरेट । लेकिन घर पर काम करते समय ऐसा नही होता है । घर पर काम करने का मतलब केवल काम ही होता है क्योंकि जो काम दिया गया है उसे एक टास्क की तरह से लिया जाता है और सभी के मन में रहता है कि हम अपने दिए गए टास्क को सही समय पर पूरा करके दें। यह पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है कि आप अपने काम को कितने अच्छे तरीके से करके दे रहे हैं. घर से काम करते हुए आपके अंदर एक अलग ही प्रतिभा आती है आप एक पल में घर का काम कर रहे हैं दूसरे ही पल ऑनलाइन मीटिंग अटेंड कर रहे हैं और फिर घर के दूसरे काम और फिर ऑफिस का काम तो यकीनन यह चीजे आपको कई चीजे एक साथ करने की काबलियित भी प्रदान कर रही है।
वर्किंग मदर्स के लिए यह अच्छा समय है वे काम करते हुए भी अपने बच्चों को देख पा रही हैं। जो कि यकीनन वर्क फ्रााॅम होम का एक पाजीटिव पहलू ही है।
यहां मैं यह बात जरूर कहना चाहूंगी कि आज जो हम घरों से काम कर पा रहे हैं वो केवल टेक्नोलाॅजी के बदौलत ही संभव हुआ है। लेकिन आज भी ऐसी कई जगह हैं और ऐसे कई लोग हैं जहां टैक्नोलाॅजी का इस्तेमाल उस तरह नही हो पा रहा है जैसा होना चाहिए। कहीं नेट की सुविधा नहीं है या नेट है तो काफी स्लो काम करता है। कहीं एम्पलाॅई उतने ज्यादा टैक्नोलाॅजी फ्रेंडली नही है। लेकिन फिर भी करते करते वे काफी अच्छी कोशिश कर रहे हैं और काफी कुछ सीख भी रहे हैं। इसलिए वर्क फ्रॉम होम केवल तभी संभव है जब आपके पास अच्छी टेक्नाॅलाजी हो और आपको उसकी अच्छी जानकारी भी हो। यहां कम्पनी का भी बहुत बड़ा रोल है क्योंकि एक कम्पनी जितनी एडवांस टेक्नाॅजी को अपनाती है और अपने स्टाॅफ को उसकी अच्छी जानकारी और ट्रेनिंग देती है तो यकीनन इससे काम की गुणवत्ता कही अधिक बड़ जाती है।
वर्क फ्राॅम होम के नेगेटिव पहलु की बात करूँ तो इसमें काम करने का वो माहौल नही मिलता जो आपको ऑफिस में मिलता है। जब आप घर से ऑफिस निकलते हैं तो मेंटली रूप् से तैयार रहते हैं कि आपको ऑफिस जाकर क्या-क्या काम करना है और जब आप ऑफिस पहुंचते हैं तो आपको सभी लोग काम करते हुए नजर आते हैं और ऐसे में आपके अंदर भी काम करने को लेकर एक पाॅजीटीविटी आती है। वर्क को डिसकस करने पर भी जब आप आमने सामने बैठकर बात करते हैं तो कई विचार सामने आते हैं और अच्छा रिजल्ट मिलता है। एक टीम वर्क की फीलिंग आती है। किसी वर्क की प्लानिंग करना अपनी टीम के साथ एक अलग बात होती है क्योंकि जब 10 लोग एक साथ बैठकर कुछ डिसकस करते हैं और सभी का दिमाग केवल उसी मीटिंग में ही होता है तो यकीनन परिणाम ज्यादा बेहतर नजर आते हैं। ऑफिस जाने को लेकर भी एक अलग ही एक्साईटमेंट रहता है । ऑफिस जाने से आपके व्यक्तित्व में भी एक अलग ही आत्मविश्वास निखर कर आता है। ऑफिस में अलग अलग लोगों से मिलने से आप अपने आपको अपडेट रख पाते हैं। ऑफिस में काम करने के लिए एक सेटअप होता है जो आपके काम को आसान बनाने में काफी मदद करता है।
लेकिन घर से काम करते समय हमें न तो वह माहौल मिलता है और न ही वैसा सेटअप। वहां हर कोई काम नहीं कर रहा होता ऐसे में जब आप काम कर रहे होते हैं और बाकी लोग कुछ अलग तो कहीं न कहीं आपका ध्यान भटकता ही है। आप बात करने बैठ जाए तो कई बार बात लम्बी भी खिच जाती है लेकिन ऑफिस में एक अनुशासन होता है जो कि काम के लिए और हमारे क्वालिटी ऑफ़ वर्क के लिए बहुत जरूरी होता है। क्योंकि कई बार घर में बहुत सी पारिवारिक परेशानियां भी होती हैं जिसे लेकर आपके लिए घर से काम करना काफी मुश्किल हो सकता है लेकिन ऐसे समय पर जब आप घर से बाहर यानि अपने ऑफिस आ जाते हैं तो न केवल आपका मन शांत हो जाता है और ऑफिस के माहौल और काम में आप घर की सारी टेंशन भूल जाते हैं कि घर पर क्या चल रहा है साथ ही आपके घर से बाहर आने पर घर का माहौल भी काफी हद तक कुछ हल्का हो जाता है ।
वर्क फ्रॉम होम अच्छा भी है और नहीं भी यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है. आज जिस परिस्थिति का हम सामना कर रहे हैं ऐसे में वर्क फ्राॅम होम से अच्छा कुछ नहीं है क्योंकि इससे काफी काम चल रहा है। जो लोग घर से कुछ काम कर रहे हैं वे यक़ीनन कुछ पा रहे हैं। बात अगर स्कूल की हो तो इस समय बच्चों को काफी समय तक ऑनलाइन पढ़ाई में उन्हें बिजी रखना बेहद अच्छा है क्योंकि वे न बाहर जा सकते हैं, पार्क में खेल नहीं सकते ऐसे में टीवी भी देखे तो कितनी देर ऐसे में बहुत परेशानी होती क्योंकि बच्चों में एक अजीब सा चिड़चिड़ापन देखने में आ रहा था। लेकिन यह सब केवल तभी संभव हो पा रहा है जब हम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना जानते हैं. हाँ यह जरूर है कि कोविड -19 ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया है और उसी में से एक पाठ यह भी है कि जरूरत पड़ने पर हम घर बैठे भी काम करें न कि हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहें क्यूंकि समथिंग इज बेटर देन नथिंग यह बात हमेशा सोचनी चाहिए। अंत में यही कहूंगी कि अब यह कोरोना जल्द से जल्द चला जाय और हम अपनी उसी नॉर्मल लाइफ में वापिस आ जायं।